माँ लिखु क्या मैं माँ के लिए, कर दिया शुक्रिया अदा खुदा का.... नाज़ करता होगा भगवान भी खुदपर, देख कर रूप माँ का जमी पर.....।। बताऊं कैसे प्यार माँ का, पड़ जाए समंदर भी कम, आकाश भी छोटा पड़ जाए ,,,, कर लेती है कैसे वो प्यार इतना होटों पे रक के मुस्कान, छुपा लेती हैं दर्द वो सारा, कापती होगी लहरे भी समंदर की, देख कर आंखो में आसू मा के !!! लिखु तो क्या लिखूं मैं माँ के लिए, कर दिया शुक्रिया अदा खुदा का..... करता होगा नाज़ भगवान भी खुदपर, देख कर रूप माँ का जमी पर....।। लड़ना सिखाया है खुदसे, जितना हरबार ही नहीं, पड़ता है हारना भी कभी, छोड़कर मैदान तू भागना नहीं.....! अगर लड़ा है तू पूरा, मेरे लिए तू हार कर है जीता.... अब लिखु क्या मैं माँ के लिए, कर दिया शुक्रिया अदा खुदा का..... करता होगा नाज़ भगवान भी खुदपर, देख कर रूप माँ का जमी पर.... जन्नत है चरणों में उसके, गंगा सी पवित्र है माँ, सपने छोड़कर उसके, सपने जीती है वो हमारे, सिखाया है चलना उंगली पकड़कर, गिरकर उड़ना सिखाया है, रक जमी पर पैर, छूना...
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