. Manoj Muntashir Poem on Maa... मनोज मुंतशिर कविता माँ Manoj Muntashir Shayri ऐसा नहीं कि मां को बनाकर खुदा ने जश्न मनाया, बल्कि सच तो यह है कि वह बहुत पछताया......, कब उसका एक एक जादू किसी और ने चुरा लिया, वह जान भी नहीं पाया......, खुदा का काम था मोहब्बत, वह मां करने लगी, खुदा का काम था हिफाजत, वह मां करने लगी, खुदा का काम था बरकत, वह भी मां करने लगी, देखते ही देखते उसकी आंखों के सामने कोई और परवरदिगार हो गया....... वह बहुत मायूस हुआ बहुत पछताया, क्योंकि मां को बनाकर खुदा बेरोजगार हो गया। ये मेरी मनोज सर की मां पर लिखी कविता बहुत अच्छी लगती है। मै तो उनका बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं और अभी भी हूं, उनके लिखे गने हो नजम हो या उनकी बुक मेरी फितरत है मस्ताना सब मैने पढ़े है हालाकि शेरो शायरी उनिके YouTube चैनल पर सुनी है, उनका अंदाज़ ही कुछ अलग है। Manoj muntashir on maa Manoj muntashir poem on maa
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