. पापा का प्यार दरवाजे पर नज़रे टिकाए रहते थे, राह उनकी शाम होते ही देखते थे, सोचता हूं में अब ये सब, वो मेरे अजीब से इशारे कैसे समजते थे...।। बचपन में पीठ पर बैठकर घूमे है, कांधे पर सिर रखकर गोदी में सोये हैं, मगते ही कभी कुछ नहीं दिया, अहमियत वक्त और चीजों की बताई है..।। प्यार तो करते होंगे वो बहुत, पर आंखो से ही डरा देते है, हमने तो प्यार जताया ही नहीं, और गले लगाया तो सालो हो गए..।। दुनिया में प्यार पापा का सबसे अलग हैं, पर दूरियां क्यों इतनी बड़ी है पापासे, वो जताते नहीं और बताते कभी नहीं, प्यार मां सा वो भी करते है...।। बचपन में प्यार पापा का अच्छा लगता है, फिर वही प्यार फर्ज लगता हैं , नहीं समझ आएगा इस उम्र में ये हमें, शायद बेटे से बाप बनना पड़ेगा हमें...।। - अक्षय कदम
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